कुमार प्रतीक
अगर ‘पर’ ‘फर’ होता, तो क्या गज़ब होता। न्यूज़ चैनलों में अनुप्रास अलंकार से सुशोभित एक प्रोग्राम का नाम होता-‘फतवा फ्लर्ट फर’। हें हें हें.. आप कहेंगे ये क्या बेहूदी बात है। जनाब ये मज़ाक है। आप बड़ी गंभीर बात सुनने के आदी हैं,तो सुनिए। पाकिस्तान में अब राष्ट्रपति के खिलाफ भी फतवा जारी होने लगा है। चचा जरदारी के खिलाफ लाल मस्जिद के मौलवी ने फतवा जारी कर डाला है-वो भी फ्लर्टिंग का।
बॉलीवुड वाले मुहब्बत की जीत दिखाते दिखाते मर गए,लेकिन मुहब्बत के दुश्मन हार मानने को तैयार नहीं। अब चचा जरदारी की मुहब्बत को ही लें। वो अमेरिका गए तो सारा पालिन से दिल्लगी कर बैठे। पालिन की खूबसूरती में कसीदे पढ़ते हुए अमेरिकियों को पागल करार दे डाला, और खुद गले लगने की इच्छा जाहिर कर डाली। बशीर बद्र भले कहते फिरे-कोई हाथ भी न मिलाएगा,जो गले मिलोगे तपाक से, ये नए मिजाज का शहर है,ज़रा फासले से मिला करो। पर,पालिन ने अपने शहर में जरदारी से हाथ क्या मिलाया वो तपाक से गले मिलने को बावले हो उठे। खैर,पालिन ने होंटों पर कोलगेटी मुस्कान दी और चचा की हथेली पर नर्म हाथों से थपथपाते हुए गुड बाय बोल डाला।
लेकिन, लाल मस्जिद के मौलवी इतनी सी बात पर उखड़े बैठे हैं। फतवा जारी कर डाला। अभी तक दाएं-बाएं तमाम किस्म के फतवे सुने,पर इस बार ऐतिहासिक फतवा-फ्लर्टिंग पर। फतवे में कहा गया है कि जरदारी राष्ट्रपति है, उन्हें फ्लर्टिंग शोभा नहीं देती। अब सवाल अपन का है। चचा जरदारी राष्ट्रपति हैं,तो क्या इंसान नहीं। दिल नहीं धड़कता उनके सीने में। उन्होंने फ्लर्टिंग की भी तो पालिन के साथ। मोहतरमा एक ज़माने में मिस अमेरिका टाइप की कोई चीज़ रही हैं। कौन कम्बख्त न फिदा हो जाए उन पर?
गलत मत समझिए। अपन को तो मौलवी साहब की नीयत में ही खोट दिख रहा है। वो पाकिस्तान में पड़े रह गए। चचा जरदारी अमेरिका में पालिन को पटाने की कोशिश भी कर आए। गीता का नियम मानें तो कर्म कर,फल की चिंता मत कर की तर्ज पर चचा जरदारी ने कोशिश की,लेकिन मौलवी साहब महाभारत पर उतारु हैं। वैसे, फतवा जारी कर वो चचा का क्या उखाड़ लेंगे। चचा के सामने जनाब मुशर्रफ साहब उखड़ गए, मौलवी साहब की तो क्या बिसात। हां,फतवे से उनकी कहानी में रंग में जरुर भर सकता है। क्या-क्या न सितम हुए हम पर जाना तुझे पाने की कोशिश में। हाय,ये कहानी सारा तक भी तो पहुचेगी।
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